परमार्थ निकेतन शिविर में कृषि महाकुम्भ का शुभारम्भ –

परमार्थ निकेतन शिविर में आज कृषि महाकुम्भ का आयोजन हुआ। ग्लोबल इंटरफेथ वाश एलायंस की अन्तर्राट्रीय महासचिव, साध्वी भगवती सरस्वती जी, श्री सूर्य प्रताप शाही जी, कैबिनेट मंत्री कृषि, कृषि शिक्षा एवं कृषि अनुसंधान, गोवा से आये श्री अन्नामलाई जी, डायरेक्टर, इन्टरनेशनल राइस रिसर्च सेंटर साउथ एथिया सेंटर बनारस, नेशनल प्रोफेसर एन के सिंह जी, सिड्स साइट डायरेक्टर, प्रसिद्ध उद्योगपति श्री दिनेश शाहरा, लेखक शांतनु गुप्ता जी और अन्य विशिष्ट अतिथियों ने दीप प्रज्वलित कर कृषि महाकुम्भ का उद्घाटन किया।

महाकुम्भ के अवसर पर कृषि कुम्भ का अदभुत आयोजन किया गया। कृषि और कुंभ दो अलग-अलग दृष्टिकोण नहीं हैं, बल्कि दोनों ही एक सुव्यवस्थित और समग्र दृष्टिकोण हैं। कृषि और कुंभ दोनों के पीछे एक समान अमृत जैसा रहस्य है।

श्री सूर्य प्रताप शाही जी, कैबिनेट मंत्री, कृषि, कृषि शिक्षा एवं कृषि अनुसंधान, डा साध्वी भगवती सरस्वती जी, गोवा से आये श्री अन्नामलाई जी, डायरेक्टर, इन्टरनेशनल राइस रिसर्च सेंटर साउथ एथिया सेंटर बनारस श्री, नेशनल प्रोफेसर एन के सिंह जी, सिड्स साइट डायरेक्टर, प्रसिद्ध उद्योगपति श्री दिनेश शाहरा, लेखक शांतनु गुप्ता जी और अन्य विशिष्ट अतिथियों ने दीप प्रज्वलित कर कृषि महाकुम्भ का किया उद्घाटन

यह कार्यक्रम न केवल कृषि विज्ञान से जुड़ा हुआ है, बल्कि यह एक सांस्कृतिक आंदोलन भी है, जो किसानों को उनकी पारंपरिक कृषि पद्धतियों से जोड़ने का कार्य करेगा।

महाकुंभ और कृषि दोनों का यह सामंजस्य केवल एक पवित्र समय नहीं, बल्कि हमारे जीवन की गहरी समझ का प्रतीक है। इस पवित्र पर्व के दौरान कृषि कुंभ का आयोजन किसानों को उनके पारंपरिक और जैविक खेती के तरीके समझने और उन्हें बेहतर बनाने का अवसर प्रदान करता है।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि कृषि महाकुम्भ के माध्यम से हमारे अन्नदाता बंधुओं को अपनी धरती माता के साथ सामंजस्यपूर्ण संबंध कैसे स्थापित करेे इसकी जानकारी प्राप्त होगी।

हम पृथ्वी को भू देवी कहते हैं। अथर्ववेद का बड़ा ही प्यारा मंत्र है माता भूमिः पुत्रोऽहं पृथिव्याः। धरती हमारी माता हैं और हम उनकी संतानें हैं। धरती माता जो सभी को पोषण प्रदान करती हैं।

वर्तमान समय में हम सभी को एआई (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) से आर आई (ऋषि इंटेलिजेंस) की ओर बढ़ना होगा क्योंकि ऋषि इंटेलिजेंस हमें अपनी जड़ों से जुड़ने की शिक्षा देता है। ऋषि इंटेलिजेंस अर्थात् प्राचीन ज्ञान, जैविक कृषि, प्राकृतिक कृषि, प्राकृतिक जीवन शैली और परंपराओं से जुड़ना, जो हमें न केवल तकनीकी प्रगति बल्कि नैतिक और आध्यात्मिक विकास की ओर भी ले जाती हैं और हमें हमारी जड़ों से जोड़ती हैं। स्वामी जी ने कहा कि कृषि को परन्तु ऋषि परम्पराओं के आधार पर हो क्योंकि हमारा स्वास्थ्य और प्रकृति के स्वास्थ्य के बीच गहरा संबंध है और प्रकृति के स्वास्थ्य के साथ सम्पूर्ण मानवता का स्वास्थ्य जुड़ा हुआ है।

साध्वी भगवती सरस्वती जी ने कहा कि कृषि के साथ गोवंश के संरक्षण का संदेश दिया। उन्होेंने सिंथेटिक तत्वों, रासायनिक खाद का उपयोग न करने का संदेश देते हुये कहा कि इससे हम सभी का जीवन खतरे में पड़ सकता है।
हम, हमारी आने वाली पीढ़ियां, धरती माता, गौ माता, जल, वायु, मिट्टी और पर्यावरण सब के स्वास्थ्य के लिये जैविक खेती ही उत्तम खेती है। जैविक व    प्राकृतिक खेती ही अहिंसा पर आधारित खेती है। मेरा सभी अन्नदाता बंधुओं के आग्रह है कि आइये धरती के पहरेदार और पैरोकार बने। अपनी प्रकृति, संस्कृति व संतति की रक्षा के लिये हम सभी को मिलकर चिंतन करना होगा और ऋषि  कृषि को जीवन का अंग बनाना होगा।

श्री सूर्य प्रताप शाही जी, कैबिनेट मंत्री , कृषि, कृषि शिक्षा एवं कृषि अनुसंधान, महाकुंभ का पावन पर्व हर बार 12 वर्षों के बाद नक्षत्रीय समावेश के साथ आता है, ठीक वैसे ही किसी भी फसल की खेती भी विशेष नक्षत्रों के समावेश पर आधारित होती है। जब बृहस्पति कुंभ राशि में और सूर्य, मेष राशि में प्रवेश करते हैं, तब महाकुंभ का आयोजन होता है। इसी तरह, गेहूं की खेती में चंद्रमा की स्थिति का विशेष ध्यान रखा जाता है। इसका मतलब यह है कि बीज और फसल दोनों का चयन भी कुंभ के नक्षत्रीय समावेश के अनुरूप है। कृषि कुम्भ का उद्देश्य बीज और जैव विविधता के महत्व को समझना और किसानों की इन क्षेत्रों में समझ को मजबूत करना है।

हमारे ऋषियों के अनुसार भारतीय कृषि केवल जमीन और पानी पर निर्भर नहीं होती, बल्कि आकाशीय पिंडों के संकेत भी महत्वपूर्ण होते हैं। फसलों के बीजों और उनकी विविधता का चयन भी इन ग्रहों की स्थिति और नक्षत्रों के आधार पर किया जाता था।

कृषि कुंभ के आयोजन का मुख्य उद्देश्य किसानों को बीज और जैविक विविधता के बारे में जागरूक करना है। बीजों का चयन केवल एक वैज्ञानिक प्रक्रिया है, बल्कि यह एक सांस्कृतिक और परंपरागत ज्ञान का महत्वपूर्ण अंग भी है। जैव विविधता, जो पर्यावरण के संतुलन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, उसी प्रकार कृषि में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

साध्वी भगवती सरस्वती जी ने श्री सूर्य प्रताप शाही जी, कैबिनेट मंत्री कृषि, कृषि शिक्षा एवं कृषि अनुसंधान और अन्य विशिष्ट अतिथियों को रूद्राक्ष का पौधा भेंट किया।

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